यह सपने क्यों शरारत किया करते हैं ?
आँखें मूंदने नहीं देते, चैन आने नहीं देते,
यूं ही पलकों के अंचल से लिपटे,
मुझको सताया करते हैं।
सपने मेरे ढीठ हैं बहुत,
शरारत से ये बाज़ नहीं आते।
आँखें मूंदने नहीं देते, चैन आने नहीं देते,
यूं ही पलकों के अंचल से लिपटे,
मुझको सताया करते हैं।
सपने मेरे ढीठ हैं बहुत,
शरारत से ये बाज़ नहीं आते।
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