Monday, April 8, 2013
मुट्ठी भर चाँद पलकों में दबाये रखा है,
बूंद बूंद करके टपकेगा कभी,
चमक उसकी सारी उधार रख दी है,
सपनों पर आजकल, बायज बहुत लगता है।
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